Sad shayari in hindi and intzar
थोड़ा इंतज़ार ही कर लेते,
वक्त बुरा था, दिल नहीं।
कितना मश्किल है उस इंसान को मनाना,
जो रूठा भी ना हो और बात भी ना करे।
मैं हार चूका हूँ,
तुम मुझे जीत लो ना।
बड़े हो जायेंगे तो जिंदगी अपने हिसाब से जीयेंगे,
बचपन के इस ख्याल से अब रोज हंसी आती है।
कभी कभी बहुत कुछ होता है हमारे पास कहने के लिए,
लेकिन तब कोई सुनने होता।
फिर से रात हो गयी तुम्हें याद करते करते,
देखो तुम्हारी यादों में फिर से सुबह होने को है।
प्यार उतना ही करो जितना सेह सको,
बिछड़ना पड़े तो भी जिन्दा रह सको।
भीख की तरह मांगने पर भी जो ना मिले उसे ही सच्ची मोहब्बत कहते है।
किसी को दिल से चाहना बुरा तो नहीं,
किसी को दिल में बसाना बुरा तो नहीं।
गुनाह होगा ज़माने की नज़र में तो क्या हुआ,
ज़माने वाले भी इंसान है खुदा तो नहीं।
Sad Shayari, kabiliyat
सच बड़ी काबिलियत से छुपाने लगे है हम,
हाल पूछने पर अब बढ़िया बताने लगे है हम।
मोहब्बत में मुझसे मशवरा मांगते है लोग,
खैर तेरे इश्क ने इस काबिल तो बनाया!
मुझे ना सीखा दर्द क्या है ए जिंदगी,
मैंने मोहब्बत करने का जुर्म कर लिया है।
एक बात याद रखना लोग बदल जाते है,
जब उन्हें आपसे बेहतर लोग मिल जाते है।
वो बात अलग है की हँसते बहुत है हम,
वरना गम इतना है की रोया तक नहीं जाता !
ना कॉल, ना रिप्लाई, ना मुलाकात,
एक ईगो में था दूसरा उम्मीद में।
बेवजह नहीं रोता कोई इश्क में जनाब,
जिसे खुद से बढ़कर चाहो वो रुलाता जरूर है।
Love Shayari | Love Status | True Love Shayari in Hindi
Sad quotes hindi
कितनो ग़मों को ढककर रखती है,
यारा ये हंसी मारनी नहीं चाहिए !
ना रात कटती है ना ही जिंदगी,
एक शख्स वक्त को बहुत धीमा कर गया !
ना आस है कोई ना पास है कोई,
ना हम है किसी के ना हमारा है कोई !
अक्सर वही दिए हाथों को जला देते है,
हम जिनको हवा से बचा रहे होते है।
घुटन सी हो गयी थी इश्क को जताते जताते,
मैं खुद सी से रूठ गया उसको मनाते मनाते!
मज़बूरी है साहब,
मुस्कुराना पड़ता है।
नाराज हमसे खुशियाँ ही होती है,
ग़मों के इतने नखरे नहीं होते।
सुलगती रेत में अब पानी की तलाश नहीं,
मगर ये मैंने कब कहा के मुझे प्यास नहीं !
Sad broken heart shayari
रूठ जाने की सदी अब गुजर गई,
अब नजर अंदाज़ करने का जमाना है।
ना ज़ख्म भरे ना शराब सहारा हुई,
ना वो वापस लौटी ना मोहब्बत दोबारा हुई।
हर बार यह कैसा दाग लग जाता है,
बेगुनाह होते हुए भी, गुनाह का इल्ज़ाम लग जाता है।
मेरी ज़िन्दगी के हक़दार तो रहने दो मुझे,
यूं हर रोज जीना क्यों सिखाते हो।
अब कोई लिख कर दे तो बात बने,
जुबान से तो हर कोई कह देता है की तुम मेरे हो !
कदर नहीं जिन्हें हमारी हम उन्हें अपनी जिंदगी बना चुके है।
दर्द छुपाए रखना और आंसू दिखाना नहीं,
लड़का हूँ, खुलके रोना चाहूँ पर इतना आसान नहीं।
अगर बेवफा होता तो भीड़ होती,
वफादार हूँ इसीलिए अकेला हूँ।
नजर भी ना आऊं इतना भी दूर ना करो मुझे,
पूरी तरह बदल जाऊं इतना भी मजबूर ना करो मुझे।
Sad quotes in hindi
हम समझते है इश्क जिसे वो पीठ पे वार हो जाता है,
एक मुद्दा गैर के कानों में पड़ा नहीं की अख़बार हो जाता है।
ये जो हालत है मेरे एक दिन सुधर जायेंगे लेकिन,
काफी लोग दिल से उतर जायेंगे।
कभी खुश तो कभी परेशान रहता हूँ,
हां मैं भी कभी कभी खामखा उदास रहता हूँ।
कोई तुम्हे ना मांगे,
ये भी दुआ माँगते है हम।
मोमबत्ती सी जल रही है जिंदगी,
कही है अँधेरा तो कहीं है रोशनी।
ये जो तुम समझ के भी ना समझ बनते हो,
बस यही ज्यादा तकलीफ देता है।
सच बड़ी काबिलियत से छुपाने लगे है हम,
हाल पूछने पर अब बढ़िया बताने लगे है हम।
मैंने कब कहा वो मिल जाए मुझे,
गैर न हो जाये बस इतनी सी हसरत है।
अपने हालात का एहसास तक नहीं मुझको,
मैंने लोगो से सुना है की परेशान हूँ मैं।
very heart touching sad quotes in hindi
कुछ गम मुस्कराहट से निगल लिया करो,
बहुतों के हौसले तुमसे बंधे हुए होती है।
लिख तो देता हूँ मैं तन्हाई रात की,
पर सुबह का शोर सब कुछ मिटा देता है।
कभी कभी तो छलक पड़ती है यूँही आँखे,
उदास होने का कोई सबब नहीं होता।
घडी की सुइयों से घावों को केवल रफू किया जा सकता है,
भरा नहीं जा सकता !
इनसान की चाहत है की उड़ने को पर मिले,
और परिंदे सोचते है की रहने को घर मिले।
zindagi sad shayari
ये कैसा इश्क है खुदा कोई तड़प रहा है मेरे लिए,
तो मैं तड़प रहा हूँ किसी और के लिए।
मतलब की बात सब समझते,
बात का मतलब कोई नहीं समझता।
क्या खूब हुई बेहिसाब हुई,
उस एक से मोहब्बत मुझे कई बार हुई।
यूँ तो सब हाल चाल ठीक ही है,
बस कहीं दिल को चैन मिलता ही नहीं।
लगता है आसमान भी जमीन के प्यार मैं है,
वो चाँद इस चाँद के इंतज़ार में है।
sad love quotes in hindi
अजीब है ना जिसे पाया भी नहीं,
उसे खो दिया मैंने।
इश्क भी चाहते हो और सुकून भी चाहते हो,
गजब करते हो यार अमावस की रात में चाँद चाहते हो !
लौट अति है वो तारीखें,
मगर वो दिन कभी लौटकर नहीं आते !
गुनाह मालूम नहीं मगर,
सजा लाजवाब मिली !
sad shayari i love you
सबने चाहा उसे हम ना मिले,
हमने चाहा उसे कभी गम ना मिले !
और अगर ख़ुशी मिलती है उसे हमसे जुदा होकर,
तो बस खुदा से यही दुआ है की उसे कभी हम ना मिले।
बातों में मैंने काफिला देखा,
पर जरुरत के वक्त सब सन्नाटा था।
नहीं है शिकायत गैरों से जनाब,
लेकिन उम्मीद अब अपनों से भी नहीं है।
जिसके नसीब मे हों ज़माने की ठोकरें,
उस बदनसीब से ना सहारों की बात कर।
बुला रहा है कौन मुझको उस तरफ,
मेरे लिए भी क्या कोई उदास बेक़रार है।
बस ये हुआ कि उस ने तकल्लुफ़ से बात की,
और हम ने रोते रोते दुपट्टे भिगो लिए।
खामोशियाँ वही रही ता-उम्र दरमियाँ,
बस वक़्त के सितम और हसीन होते गए।
मुद्दतें बीत गई ख्वाब सुहाना देखे,
जागता रहता है हर नींद में बिस्तर मेरा।
हम पर जो गुजरी है, तुम क्या सुन पाओगे,
नाजुक सा दिल रखते हो, रोने लग जाओगे।
वो तेरे खत तेरी तस्वीर और सूखे फूल,
उदास करती हैं मुझ को निशानियाँ तेरी।
वह मेरा सब कुछ है पर मुक़द्दर नहीं,
काश वो मेरा कुछ न होता पर मुक़द्दर होता।
दिल को बुझाने का बहाना कोई दरकार तो था,
दुःख तो ये है तेरे दामन ने हवायें दी हैं।
अजब चिराग हूँ दिन-रात जलता रहता हूँ,
थक गया हूँ मैं हवा से कहो बुझाए मुझे।
अपनी जिंदगी अजीब रंग में गुजरी है,
राज किया दिलों पे और मोहब्बत को तरसे।
बिछड़कर फिर मिलेंगे यकीन कितना था,
बेशक ये ख्वाब था मगर हसीन कितना था।
खुद आग दे के अपने नशेमन को आप ही,
बिजली से इन्तेकाम लिया है कभी-कभी।
ऐसा लगता है कि वो भूल गया है हमको,
अब कभी खिड़की का पर्दा नहीं बदला जाता।
sad शायरी इन हिंदी फॉर गर्लफ्रैंड
मिल भी जाते हैं तो कतरा के निकल जाते हैं,
हैं मौसम की तरह लोग… बदल जाते हैं,
हम अभी तक हैं गिरफ्तार-ए-मोहब्बत यारों,
ठोकरें खा के सुना था कि संभल जाते हैं।
चमन में जो भी थे नाफ़िज़ उसूल उसके थे,
तमाम कांटे हमारे थे और फूल उसके थे,
मैं इल्तेज़ा भी करता तो किस तरह करता,
शहर में फैसले सबको कबूल उसके थे।
ख्वाब था बिखर गया ख्याल था मिला नहीं,
मगर ये दिल को क्या हुआ ये क्यूँ बुझा पता नहीं,
तमाम दिन उदास दिन तमाम शब् उदासियाँ,
किसी से कोई बिछड़ गया जैसे कुछ बचा नहीं।
जुस्तजू खोये हुए की उम्र भर करते रहे,
चाँद के हमराह हम हर शब सफ़र करते रहे,
रास्तों का इल्म था न हमको सिम्तों की खबर,
शहर-ए-नामालूम की चाहत मगर करते रहे।
बेवक्त बेवजह बेसबब सी बेरुखी तेरी,
फिर भी बेइंतहा तुझे चाहने की बेबसी मेरी।
देखी है बेरुखी की आज हम ने इन्तेहाँ,
हमपे नजर पड़ी तो वो महफ़िल से उठ गए।
गुलों के साये में अक्सर तड़पा हूँ,
करार कांटों पे कुछ ऐसा पा लिया मैंने।
हजारों जवाब से अच्छी मेरी ख़ामोशी,
न जाने कितने सवालों की आबरू रख ली।
दिल से मिटा न पाओगे मैंने कहा तो था,
तुम किसी और के होके भी मेरे ही रहे।
sad shayari in hindi miss you
एक नजर भी देखना गंवारा नहीं उसे,
जरा सा भी एहसास हमारा नहीं उसे,
वो साहिल से देखते रहे डूबना हमारा,
हम भी खुद्दार थे पुकारा नहीं उसे।
काश वो समझते इस दिल की तड़प को,
तो हमें यूँ रुसवा न किया जाता,
यह बेरुखी भी उनकी मंज़ूर थी हमें,
बस एक बार हमें समझ तो लिया होता।
खुद को कुछ इस कदर तबाह किया,
इश्क़ किया एक खूबसूरत गुनाह किया,
जब मोहब्बत में न थे तब खुश थे हम,
दिल का सौदा हमने बेवजह किया।
सपनों से दिल लगाने की आदत नहीं रही,
हर वक्त मुस्कुराने की आदत नहीं रही,
ये सोच के कि कोई मनाने नहीं आएगा,
हम को रूठ जाने की आदत नहीं रही।
जब कभी फुर्सत मिले मेरे दिल का बोझ उतार दो,
मैं बहुत दिनों से उदास हूँ मुझे कोई शाम उधार दो।
चलो अब जाने भी दो क्या करोगे दास्ताँ सुनकर,
ख़ामोशी तुम समझोगे नहीं और बयाँ हमसे होगा नहीं।
उदास दिल है मगर मिलता हूँ हर एक से हँस कर,
यही एक फन सीखा है बहुत कुछ खो देने के बाद।
ना छेड़ किस्सा वो मोहब्बत का बड़ी लम्बी कहानी है,
मैं ज़िंदगी से नहीं हारा किसी अपने की मेहरबानी है।
तेरा साथ छूटा है सँभलने में वक्त तो लगेगा,
हर चीज़ इश्क़ तो नहीं जो एक पल में हो जाये।
अब सोच रहे हैं सीख ही लें हम भी बेरुखी करना,
मोहब्बत देते देते सबको हमने अपनी ही कदर खो दी।
मिजाज को बस तल्खियाँ ही रास आईं,
हम ने कई बार मुस्कुरा कर देख लिया।
sad shayari in hindi
तुम्हारे बाद न तकमील हो सकी अपनी,
तुम्हारे बाद अधूरे तमाम ख्वाब लगे।
मेरी कोशिश कभी कामयाब ना हो सकी,
न तुझे पाने की न तुझे भुलाने की।
अपनी ही मोहब्बत से मुकरना पड़ा मुझे,
जब देखा उसे रोता किसी और के लिए।
मेरे न हो सको तो कुछ ऐसा कर दो,
हम जैसे थे हमें फिर वैसा कर दो।
सीख कर गया है वो मोहब्बत मुझसे,
जिस से भी करेगा बेमिसाल करेगा।
तुम्हें चाहने की वजह कुछ भी नहीं,
बस इश्क की फितरत है बे-वजह होना।
पत्थर समझ कर पाँव से ठोकर लगा दी,
अफसोस तेरी आँख ने परखा नहीं मुझे,
क्या क्या उमीदें बांध कर आया था सामने,
उसने तो आँख भर के भी देखा नहीं मुझे।
ज़िंदगी सिर्फ इसी धुन में गुजारे जायें,
बस तेरा नाम, तेरा नाम पुकारे जायें,
जब ये तय है कि यहाँ कोई नहीं आएगा,
किस की खातिर दर-ओ-दीवार सँवारे जायें।
उसका चेहरा भी सुनाता है कहानी उसकी,
चाहते हैं कि सुनूँ उस से ज़ुबानी उस की,
वो सितमगर है तो अब उससे शिकायत कैसी,
और सितम करना भी आदत है पुरानी उसकी।
मेरी जगह कोई और हो तो चीख उठे,
मैं अपने आप से इतने सवाल करता हूँ।
यकीन था कि तुम भूल जाओगे मुझको,
खुशी है कि तुम उम्मीद पर खरे उतरे।
सच बोलकर भी देख लिया उनके सामने,
लेकिन उन्हें पसंद सदाक़त न थी मेरी।
बिना मेरे रह ही जाएगी कोई न कोई कमी,
तुम जिंदगी को जितनी मर्जी सँवार लेना।
एक सवाल पूछती है मेरी रूह अक्सर,
मैंने दिल लगाया है या ज़िंदगी दाँव पर।
जिसे खुद से ही नहीं फुरसतें,
जिसे खयाल अपने कमाल का,
उसे क्या खबर मेरे शौक़ की,
उसे क्या पता मेरे हाल का।
जिसे खुद से ही नहीं फुरसतें,
जिसे खयाल अपने कमाल का,
उसे क्या खबर मेरे शौक़ की,
उसे क्या पता मेरे हाल का।
sad shayari😭 hindi
कुछ उनकी वफ़ाओं ने लूटा,
कुछ उनकी इनायत मार गई,
हम राज़-ए-मोहब्बत कह न सके,
चुप रहने की आदत मार गई।
न किसी के दिल की हूँ आरजू,
न किसी नज़र की हूँ जुस्तजू,
मैं वो फूल हूँ जो उदास है,
ना बहार आए तो क्या करूँ।
अंजाम-ए-वफ़ा ये है जिसने भी मोहब्बत की,
मरने की दुआ माँगी जीने की सज़ा पाई।
गुजरा हूँ हादसात से लेकिन वही हूँ मैं,
तुम ने तो एक बात पे रस्ते बदल लिए।
क्या खूब ही होता अगर दुख रेत के होते,
मुठ्ठी से गिरा देते… पैरो से उड़ा देते।
वो मिल गए तो बिछड़ना पड़ेगा फिर से,
इसी ख्याल से हम रस्ते बदलते रहे।
मेरे मुक़द्दर को भी गिला रहा है मुझसे,
कि किसी और का होता तो संवर गया होता।
किसी को इतना न चाहो कि भुला न सको,
यहाँ मिजाज बदलते हैं मौसम की तरह।
नफरतें लाख मिलीं पर मोहब्बत न मिली,
ज़िन्दगी बीत गयी मगर राहत न मिली,
तेरी महफ़िल में हर एक को हँसता देखा,
एक मैं था जिसे हँसने की इजाज़त न मिली।
बरसों गुजर गए हमने रोकर नहीं देखा,
आँखों में नींद थी मगर सोकर नहीं देखा,
वो क्या जाने दर्द-ए-मोहब्बत क्या है,
जिसने कभी किसी का होकर नहीं देखा।
मैं तेरे प्यार से घर अपना बसाऊं कैसे,
मैं तेरी मांग सितारों से सजाऊँ कैसे,
मेरी किस्मत में नहीं प्यार की खुश्बू शायद,
मेरे हाथों की लकीरों में नहीं तू शायद।
मुद्दत से जिसके वास्ते दिल बेकरार था,
वो लौट के ना आया जिसका इंतजार था,
मंजिल करीब आई तो वो दूर हो गया,
इतना तो बता जाता कि ये कैसा प्यार था।
उदास कर देती है हर रोज ये शाम मुझे,
लगता है तू भूल रहा है मुझे धीर-धीरे।
नादानी की हद है जरा देखो तो उन्हें,
मुझे खो कर वो मेरे जैसा ढूढ़ रहे हैं।
इतनी शिद्दत से ना कर तर्क-ए-ताल्लुक का सवाल,
ऐसा ना हो कि हम से तेरी बात ना टाली जाए।
बिखरा वज़ूद, टूटे ख़्वाब, सुलगती तन्हाईयाँ,
कितने हसींन तोहफे दे जाती है ये मोहब्बत।
मिले तो हजारों लोग थे ज़िंदगी में यारों,
वो सब से अलग था जो किस्मत में नहीं था।
उनके पास आने की ख्वाहिश तो बहुत थी मगर,
पास आकर पता चला मोहब्बत फासलों में है।
fadu sad shayari in hindi
इस मोहब्बत की किताब के,
बस दो ही सबक याद हुए,
कुछ तुम जैसे आबाद हुए,
कुछ हम जैसे बरबाद हुए।
उसे जाने की जल्दी थी
तो मैं आँखों ही आँखों में
जहाँ तक छोड़ सकता था
वहाँ तक छोड़ आया हूँ।
ये मकाम-ए-इश्क़ है कौन सा
कि मिजाज सारे बदल गए,
मैं इसे कहूँ भी तो क्या कहूँ
मेरे हाथ फूल से जल गए।
तुझको भी जब अपनी कसमें
अपने वादे याद नहीं,
हम भी अपने ख्वाब तेरी
आँखों में रख कर भूल गए।
क्यों हिज्र के शिकवे करता है
क्यों दर्द के रोने रोता है,
अब इश्क़ किया तो सब्र भी कर
इस में तो यही कुछ होता है।
कभी हम मिले तो भी क्या मिले
वही दूरियाँ वही फ़ासले,
न कभी हमारे कदम बढ़े
न कभी तुम्हारी झिझक गई।
अब तुम को भूल जाने की कोशिश करेंगे हम
तुम से भी हो सके तो न आना ख़याल में।
नजर बचा कर गुजर जाएँ वो मुझसे लेकिन,
मेरे ख्याल से दामन वो बचा नहीं सकते।
कुछ इतने दिए हसरत-ए-दीदार ने धोखे,
वो सामने बैठे हैं यकीन हम को नहीं है।
किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंजिल,
कोई हमारी तरह उम्र भर सफर में रहा।
तेरी निगाह में एक रंग-ए-अजनबियत था,
किस ऐतबार पे हम खुल के गुफ्तगू करते।
उसकी बाहों में सोने का
अभी तक शौक है मुझको,
मोहब्बत में उजड़ कर भी
मेरी आदत नहीं बदली।
हालात ने तोड़ दिया हमें
कच्चे धागे की तरह,
वरना हमारे वादे भी कभी
जंजीर हुआ करते थे।
धुआँ धुआँ जला था दिल
धीमे धीमे गुबार उठा,
राख के उस ढेर में
बिखरा हुआ एक ख्वाब मिला।
एक नजर देख के
सौ नुक्स निकाले मुझमें,
फिर भी मैं खुश हूँ
मुझे गौर से देखा तूने।
तुझे दुश्मनों की खबर न थी
मुझे दोस्तों का पता नहीं,
तेरी दास्ताँ कोई और थी
मेरा वाकिया कोई और है।
two line sad shayari in hindi word
अजीब हाल है
इस अधूरी मोहब्बत में रातों का,
उजाला हो जाता है लेकिन
आँखों से अँधेरा नहीं जाता।
लम्हों की दौलत से दोनों ही महरूम रहे,
मुझे चुराना न आया, तुम्हें कमाना न आया।
ना जाने इस ज़िद का नतीजा क्या होगा,
समझता दिल भी नहीं मैं भी नहीं और तुम भी नहीं।
सिर्फ एक मोहब्बत की रौशनी ही बाकी है,
वरना जिस तरफ देखो दूर तक अँधेरा है।
अब क्या जवाब दूँ मैं कोई मुझे बताये,
वह मुझसे कह रहे हैं क्यों मेरी आरज़ू की।
लगा कर आग सीने में चले हो तुम कहाँ,
अभी तो राख उड़ने दो तमाशा और होना है।
बिखरी किताबें भीगे पलक और ये तन्हाई,
कहूँ कैसे कि मिला मोहब्बत में कुछ भी नहीं।
अगर तुम समझ पाते मेरी चाहत की इन्तेहा,
तो हम तुमसे नहीं, तुम हमसे मोहब्बत करते।
दो हिस्सो में बंट गये मेरे तमाम अरमान,
कुछ तुझे पाने निकले, कुछ मुझे समझाने।
देख कर मुझको निगाहें फेर क्यूँ लेते हो तुम,
क्या मेरे चेहरे पे अपना अक्स दिखता है तुम्हें।
हम जानते तो इश्क़ न करते किसी के साथ,
ले जाते दिल को खाक में इस आरज़ू के साथ।
हम जानते तो इश्क़ न करते किसी के साथ,
ले जाते दिल को खाक में इस आरज़ू के साथ।
बस इतनी बात पे सब अहल-ए-महफ़िल हो गए बरहम,
कि तेरे नाम के हमरा मेरा नाम क्यूँ आया।
हमें अपने घर से चले हुए,
सरे राह उमर गुजर गई,
न कोई जुस्तजू का सिला मिला,
न सफर का हक ही अदा हुआ।
sad shayari in hindi for life
कहीं किसी रोज़ यूँ भी होता,
हमारी हालत तुम्हारी होती,
जो रात हमने गुजारी तड़प कर,
वो रात तुमने गुजारी होती।
नसीब अपना असर हर हाल में
दिखला ही जाता है,
चलो कितना संभलकर
पाँव ठोकर खा ही जाता है।
तू मेरी बरबादियों के जश्न में शामिल रहा,
ये तसव्वुर ही बहुत आराम देता है मुझे।
भूल जा अब तू मुझे आसान है तेरे लिए,
भूलना तुझको नहीं आसां मगर मेरे लिए।
फुरसत अगर मिले तो मुझे पढ़ना जरूर,
नाकाम ज़िंदगी की मुकम्मल किताब हूँ मैं।
ऐसा नहीं है कि अब तेरी जुस्तजू नहीं रही,
बस टूट कर बिखरने की आरज़ू नहीं रही।
खुद को लिखते हुए हर बार लिखा है तुमको,
इससे ज्यादा कोई जिंदगी को क्या लिखता?
रोज़ ख्वाबों में जीते हैं वो ज़िन्दगी,
जो तेरे साथ हक़ीक़त में सोची थी कभी।
इतना भी इख्तियार नहीं मुझको वज़्म में,
शमाएँ अगर बुझें तो मैं दिल को जला सकूँ।
इतना भी इख्तियार नहीं मुझको वज़्म में,
शमाएँ अगर बुझें तो मैं दिल को जला सकूँ।
गिला भी तुझ से बहुत है मगर मोहब्बत भी,
वो बात अपनी जगह है ये बात अपनी जगह।
अजीब तरह से गुजर गयी मेरी भी जिंदगी,
सोचा कुछ, किया कुछ, हुआ कुछ, मिला कुछ।
किसी का यूँ तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी,
ये हुस्न-ओ-इश्क़ तो धोखा है सब मगर फिर भी।
तुम राह में चुप-चाप खड़े हो तो गए हो,
किस-किस को बताओगे घर क्यों नहीं जाते।
तुम राह में चुप-चाप खड़े हो तो गए हो,
किस-किस को बताओगे घर क्यों नहीं जाते।
आये भी लोग, गये भी, उठ भी खड़े हुए,
मैं जा ही देखता तेरी महफिल में रह गया।
सैड शायरी अपनों के लिए
ये तो न कह कि किस्मत की बात है,
मेरी बरबादियों में तेरा भी हाथ है।
कुछ कटी हिम्मत-ए-सवाल में उम्र,
कुछ उम्मीद-ए-जवाब में गुजरी।
ले चला जान मेरी रूठ के जाना तेरा,
ऐसे आने से तो बेहतर था न आना तेरा।
ले चला जान मेरी रूठ के जाना तेरा,
ऐसे आने से तो बेहतर था न आना तेरा।
तुम को फुर्सत जो कभी मिल जाए,
तो खुद से मुझको निजात दे देना।
सुनी एक भी बात तुमने न मेरी,
सुनी मैंने सारे ज़माने की बातें।
सुनी एक भी बात तुमने न मेरी,
सुनी मैंने सारे ज़माने की बातें।
मुझसे छीनो न दिल की वीरानी,
यह अमानत किसी अजनबी की है।
चंद कलियाँ निशात की चुनकर,
मुद्दतों मायूस रहता हूँ,
तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही,
तुझसे मिलकर उदास रहता हूँ।
कुछ तबीयत ही मिली थी ऐसी,
चैन से जीने की सूरत नहीं हुई,
जिसको चाहा उसे अपना न सके,
जो मिला उससे मुहब्बत न हुई।
सितम को हम करम समझे,
जफा को हम वफा समझे,
जो इस पर भी न समझे वह
तो उस बुत को खुदा समझे।
बस यही बात कि किसी को ना चाहों दिल से,
तज़ुर्बे इस के सिवा उम्र को क्या देते हैं।
क़ब्रों में नहीं हम को किताबों में उतारो,
हम लोग मोहब्बत की कहानी में मरे हैं।
टूट कर रह गया है खुद से रिश्ता अपना,
एक मुद्दत हुई कि देखा नहीं चेहरा अपना।
कुछ इस तरह से गुज़ारी है ज़िंदगी जैसे,
तमाम उम्र किसी दूसरे के घर में रहा।
जा और कोई ज़ब्त की दुनिया तलाश कर,
ऐ इश्क़ हम तो अब तेरे क़ाबिल नहीं रहे।
सैड शायरी एक तरफा प्यार
कोई तो है मेरे अंदर मुझको संभाले हुए,
कि बेकरार होकर भी बरक़रार हूँ मैं।
कोई तो है मेरे अंदर मुझको संभाले हुए,
कि बेकरार होकर भी बरक़रार हूँ मैं।
समझ पाता हूँ देर से मैं दांव-पेंच उसके,
वो बाजी जीत जाता है मेरे चालाक होने तक।
हमारी खोज में रहती थीं तितलियाँ अक्सर,
कि अपने शहर का हुस्न-ओ-जमाल थे हम भी।
वो अँधेरा ही सही था कि कदम राह पर थे,
रोशनी ले आई मुझे मंजिल से बहुत दूर।
मैं पा नहीं सका इस कशमकश से छुटकारा,
तू मुझे जीत भी सकता था मगर हारा क्यूँ।
न हाथ थाम सके और न पकड़ सके दामन,
बहुत ही क़रीब से गुज़र कर बिछड़ गया कोई।
शिकायतें भी थी उसे तो मेरे ख़ुलूस से,
अजीब शख्स था मेरी आदतें ना समझ सका।
बिछड़ के मुझसे तुम अपनी कशिश न खो देना,
उदास रहने से चेहरा खराब होता है।
अभी तो चूर-चूर ही हुए है तेरे इश्क में,
मेरे बिखरने का खेल तो अभी बाकी है।
नतीजा एक ही निकला,
कि थी किस्मत में नाकामी,
कभी कुछ कहके पछताए,
कभी चुप रहके पछताए।
मोहब्बत की आजमाइश दे-दे कर
हम थक गए ऐ खुदा,
मुकद्दर में कोई ऐसा भी लिख दे
जो मौत तक वफ़ा करे।
सिर्फ चेहरे की उदासी से
भर आये तेरी आँखों में आँसू,
मेरे दिल का क्या आलम है
ये तो तू अभी जानता नहीं।
sad shayari for her
वो जो कहते थे हजारों
मिलते हैं रोज तेरे जैसे,
उनके हाथों पे मेहँदी
लगी है आज बरसों के बाद।
मुमकिना फ़ैसलों में एक हिज्र का फ़ैसला भी था,
हम ने तो एक बात की उस ने कमाल कर दिया।
होशो-हवास और ताबो-तवाँ दाग़ जा चुके,
अब हम भी जाने वाले हैं सामान तो गया।
हाथ मेरे भूल बैठे दस्तकें देने का फ़न,
बंद मुझ पर जब से उस के घर का दरवाज़ा हुआ।
बस ये हुआ कि उस ने तकल्लुफ़ से बात की,
और हम ने रोते रोते दुपट्टे भिगो लिए।
तमाम उम्र हम वफा के गुनहगार रहे,
यह और बात है कि हम आदमी तो अच्छे थे।
आये भी लोग, गये भी, उठ भी खड़े हुए,
मैं जा ही देखता तेरी महफिल में रह गया।
खाते रहे फरेब संभलते रहे कदम,
चलते रहे जुनूं का सहारा लिये हुए।
कहते हैं उम्मीद पे जीता है जमाना,
क्या करे जिसकी कोई उम्मीद नहीं है।
बेदिली क्या यूँ ही दिल गुजर जायेंगे,
सिर्फ जिंदा रहे हम तो मर जायेंगे।
ये अलग बात है कि तेरी सुनी गयी,
वरना खुदा तो मेरा भी वही था।
रोया हूँ तो अपने दोस्तों में,
पर तुझ से तो हँस के ही मिला हूँ।
हुयी जर्द फूलों की बस्तियां,
मगर उसमें तेरी खता कहाँ।
अगर मैं भी मिजाज़ से पत्थर होता,
तो खुदा होता या तेरा दिल होता।
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तुम अपना रंजो-गम अपनी परेशानी मुझे दे दो,
तुम्हें मेरी कसम यह दुख यह हैरानी मुझे दे दो।
ये माना मैं किसी काबिल नहीं इन निगाहों में,
बुरा क्या है अगर इस दिल की वीरानी मुझे दे दो।
इस दिल को किसी की आहट की आस रहती है,
निगाह को किसी सूरत की तलाश रहती है,
तेरे बिना जिन्दगी में कोई कमी तो नही,
फिर भी तेरे बिना जिन्दगी उदास रहती है।
खोया इतना कुछ कि हमें पाना न आया,
प्यार कर तो लिया पर जताना न आया,
आ गए तुम इस दिल में पहली नज़र में,
बस हमें आपके दिल में समाना ना आया।
बहुत खामोशी से गुजरी जा रही है जिन्दगी,
ना खुशियों की रौनक ना गमों का कोई शोर,
आहिस्ता ही सही पर कट जायेगा ये सफ़र,
ना आयेगा दिल में उसके सिवा कोई और।
कितना बेबस है इंसान किस्मत के आगे,
हर सपना टूट जाता है हकीकत के आगे,
जिसने कभी दुनिया में हारना नहीं सीखा,
वो भी हार जाता है मोहब्बत के आगे।
किस्मत ने जैसा चाहा वैसे ढल गए हम,
बहुत संभल के चले फिर भी फिसल गए हम,
किसी ने यकीन तोड़ा तो किसी ने दिल,
और लोगों को लगता है कि बदल गए हम।
मुझे ये डर है तेरी आरजू न मिट जाये,
बहुत दिनों से तबियत मेरी उदास नहीं।
बारिश में भीगने के ज़माने गुजर गए,
वो शख्स मेरे शौक चुरा कर चला गया।
अब तो इस राह से वो शख़्स गुज़रता भी नहीं,
अब किस उम्मीद पे दरवाज़े से झाँके कोई।
तू मुझे अपना बना या न बना तेरी ख़ुशी,
तू ज़माने में मेरे नाम से बदनाम तो है।
वो एक ख़त जो उसने कभी लिखा ही नहीं,
मैं रोज बैठ कर उसका जवाब लिखता हूँ।
मैं उसका हूँ ये तो मैं जान गया हूँ लेकिन,
वो किसका है ये सवाल मुझे सोने नहीं देता।
अधूरी हसरतों का आज भी इलज़ाम है तुम पर,
अगर तुम चाहते तो ये मोहब्बत ख़त्म ना होती।
दस्त-ए-तक़दीर से हर शख्स ने हिस्सा पाया,
मेरे हिस्से में तेरे साथ की हसरत आई।
हुए जिस पे मेहरबाँ तुम कोई खुशनसीब होगा,
मेरी हसरतें तो निकलीं मेरे आंसुओं में ढलकर।
इतनी शिद्दत से न देख आसमान की तरफ,
जिसकी तुझे हसरत थी वो सितारा ही टूट गया।
हक़ीक़त खुल गई हसरत तेरे तर्क-ए-मोहब्बत की,
तुझे तो अब वो पहले से भी बढ़ कर याद आते हैं।
मत पूछो कैसे गुजरता है हर पल तुम्हारे बिना,
कभी मिलने की हसरत कभी देखने की तमन्ना।
अपनी तबाहियों का मुझे कोई ग़म नहीं
तुम ने किसी के साथ मोहब्बत निभा तो दी।
तुम ना लगा पाओगे अंदाजा मेरी तबाही का,
तुमने देखा ही कहाँ है मुझको शाम के बाद।
मैंने हक़ दिया है तुझको मेरे साथ दिल्लगी का,
मेरे दिल से खेल जब तक तेरा दिल बहल न जाये।
उठ के पहलू से चले हो तो बताते जाना,
छोड़ कर जाते हो अब किसके सहारे मुझको।
एक न एक दिन मैं ढूँढ ही लूंगा तुमको,
ठोंकरें ज़हर तो नहीं कि खा भी ना सकूँ।
सिखा दी बेरुखी भी ज़ालिम ज़माने ने तुम्हें,
कि तुम जो सीख लेते हो हम पर आज़माते हो।
दुनिया की महफ़िलों से उकता गया हूँ या रब,
क्या लुत्फ़ अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो।
क़ैद ए मौसम से तबीयत रही आज़ाद उसकी,
काश गुलशन में समझता कोई फ़रियाद उसकी।
माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं,
तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख।
इस दौर की ज़ुल्मत में हर कल्बे परेशाँ को,
वो दाग-ए-मोहब्बत दे जो चाँद को शरमा दे।
इस दौर की ज़ुल्मत में हर कल्बे परेशाँ को,
वो दाग-ए-मोहब्बत दे जो चाँद को शरमा दे।
मैं रो रो के कहने लगा दर्द-ए-दिल,
वो मुंह फेर कर मुस्कुराने लगे।
अपना तो आशिकी का किस्सा-ए-मुख्तसर है,
हम जा मिले खुदा से दिलबर बदल-बदल कर।
जीना भी आ गया, मुझे मरना भी आ गया,
पहचानने लगा हूँ, तुम्हारी नजर को मैं।
सामान बाँध लिया है मैंने भी अब बताओ ग़ालिब,
कहाँ रहते है वो लोग जो कहीं के नहीं रहते।
मुझे मेरे कल की फ़िक्र आज भी नहीं मगर,
ख्वाहिश उसको पाने की कयामत तक रहेगी।
बिछड़ के हम से फिर किसी के भी न हो सकोगे,
तुम मिलोगे सब से मगर हमारी ही तलाश में।
वक़्त के साथ बदलना तो बहुत आसान था,
मुझसे हर लम्हा मुखातिब रही ग़ैरत मेरी।
जब कि पहलू से यार उठता है,
दर्द बे-इख़्तियार उठता है।
ज़ख़्म झेले दाग़ भी खाए बहुत,
दिल लगा कर हम तो पछताए बहुत।
कोई तुम सा भी काश तुम को मिले,
मुद्दआ हम को इंतिक़ाम से है।
हमारे आगे तिरा जब किसी ने नाम लिया,
दिल-ए-सितम-ज़दा को हम ने थाम थाम लिया।
क्या जानूँ चश्म-ए-तर से उधर दिल को क्या हुआ,
किस को ख़बर है मीर समुंदर के पार की।
मिरे सलीक़े से मेरी निभी मोहब्बत में,
तमाम उम्र मैं नाकामियों से काम लिया।
बाद मरने के मेरी कब्र पे आया वो मीर,
याद आई मेरे मसीहा को दवा मेरे बाद।
लगा न दिल को क्या सुना नहीं तूने,
जो कुछ मीर का आशिकी ने हाल किया।
अश्क आँख में कब नहीं आता,
लहू आता है जब नहीं आता।
गम रहा जब तक के दम में दम रहा,
दिल के जाने का निहायत गम रहा।
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